बुधवार, 12 मार्च 2014

हमारे देश की कथन

सिसक सिसक कर रो रही है
मेरी भारत माता आज।
बिलख बिलख कर रो रहे हैं
संविधान निर्माता आज।
तड़प तड़प कर
रोता होगा गांधी सुभाष
का दिल भी आज।
चीख चीख कर रोते होंगे
भगतसिंह,बिस्मिल भी आज।

रोती होगी गंगा जमना,रोते
कश्मीर-हिमालय आज।
रोते होंगे मंदिर मस्जिद,रोते
सभी देवालय आज।
रोती होगी कन्याकुमारी,रो रही गौहाटी आज।
रो रहा है मरू प्रदेश
भी,रो रही चैपाटी आज।

आज देश में चारों ओर
गुण्डों का प्रशासन है।
और जूती की नोक पर पड़ा हुआ
अनुशासन है।
आज शास्त्री की पीठ में
छुरी भोंक दी जाती है।
और संसद की आंखो में मिर्च झोंक
दी जाती है।

बहुत सह लिया हम लोगों ने, अब
बदलाव जरूरी है।
चुप रहने से काम न चलेगा, अब
इंकलाब जरूरी है।

आज संसद चला रहे है गुण्डे तस्कर
और डाकू।
हाथापाई, मारपीट,
छीनाझपट्टी और चाकू।
कोई स्पीकर की टेबल का माईक
उखाड़ चला जाता है।
और सदन की सम्पत्ति के कागज
फाड़ चला जाता है।

संसद स्थगित करने को अब बहाने
बनाए जाते है।
पानी की तरह जनता के रूपए
बहाए जाते है।
राजनेता बर्बाद कर रहे है मेरे
भारत देश को।
और बदनाम किया जा रहा है
खादी वाले वेश को।

आज वतन के लोग यहां के नेताओं से
त्रस्त है।
लेकिन युवा पीढी तो प्रेम दिवस
में व्यस्त है।
पहले देश प्रेम के लिए हमें आगे
आना होगा।
और भ्रष्ट नेताओं से अब
छुटकारा पाना होगा।

बहुत सह लिया हम लोगों ने, अब
बदलाव जरूरी है।
चुप रहने से काम न चलेगा, अब
इंकलाब जरूरी है।

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